पीएनबी घोटाले में शामिल भगोड़ा मेहुल चोकसी ने भले ही प्रत्यर्पण से बचने के लिए भारत की नागरिकता छोड़ कर एंटीगुआ की नागरिकता ले ली है, मगर अपने इस दांव से वह प्रत्यर्पण् कानून के घेरे से नहीं बचेगा। दरअसल अंतर्राष्ट्रीय कानून में संबंधित नागरिक की नागरिकता के बदले उसके द्वारा किए गए अपराध की जगह महत्वपूर्ण होती है। इसी प्रावधान के कारण अगस्ता वेस्टलैंड सौदे के बिचौलिया जो कि ब्रिटिश नागरिक थे और दुबई में रह रहे थे, का प्रत्यर्पण बीते दिनों संभव हो पाया था।
चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए एंटीगुआ सरकार के समक्ष लगातार हाथ पांव मार रहे विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ऐसा लगता है कि मेहुल ने प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश में भारतीय नागरिकता छोडने के लिए अपना पासपोर्ट जमा करा दिया है। हालांकि उसकेइस कदम का प्रत्यर्पण कानून पर कोई असर नहीं पडने वाला। भारत ने उसके प्रत्यर्पण के लिए मेहुल के 13000 करोड़ का बैंक ऋण चुकाए बिना भाग जाने संबंधी कई अहम सबूत एंटीगुआ को दिए हैं। प्रत्यर्पण के लिए दोनों पक्षों की बातचीत अंतिम दौर में है। संभवत: प्रत्यर्पण की बढ़ती संभावनाओं के मद्देनजर ही चोकसी ने भारत की नागरिकता छोडने का मन बनाया होगा।
उक्त सूत्र ने बताया कि प्रत्यर्पण संबंधी अंतर्राष्ट्रीय कानून केप्रावधान साफ हैं। इसके प्रावधानों में अपराध करने वाले की नागरिक की नागरिकता की जगह उसके द्वारा किए गए अपराध की जगह की महत्ता होती है। इस हिसाब से साफ है कि एंटीगुआ की नागरिकता हासिल करने वाले मेहुल ने चूंकि भारत में अपराध किया है। ऐसे में बाद में भारत की नागरिकता छोडने केउसके फैसले से प्रत्यर्पण पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ठीक ऐसे ही मामले में अगस्ता वेस्टलैंड सौदे केबिचौलिये की खुद के ब्रिटिश नागरिक होने और इसी बिनाह पर दुबई में रहने की शर्त को स्वीकार नहीं किया गया। चूंकि उसका अपराध भारत से जुड़ा था, इसलिए दुबई ने उसका भारत में प्रत्यर्पण कर दिया।
चोकसी ने एंटीगुआ स्थित भारतीय दूतवास में नागरिकता छोडने के लिए अपना पासपोर्ट संख्या 3396732 जमा कराया। पासपोर्ट जमा कराने केलिए उन्होंने इसके लिए जरूरी 177 डॉलर की फीस भी जमा की। इस दौरान उन्होंने अपना आधिकारिक पता जॉली हार्बर, सेंट माक्र्स, एंटीगुआ बताया। गौरतलब है कि चौकसे ने साल 2017 में ही एंटीगुआ की नागरिकता ले ली थी।
अमेरिका केबाद लिया एंटीगुआ में शरण
बीते साल 4 जनवरी को फरार होने वाले मेहुल ने अमेरिका के बाद एंटीगुआ में शरण ली। तब पता चला कि उसने पहले ही एंटीगुआ की नागरिकता ले रखी है। इस बीच प्रत्यर्पण की कार्यवाही केतहत मेहुल केखिलाफ इंटरपोल से नियमानुसार रेडकॉर्नर नोटिस जारी हुआ। हालांकि तब एंटीगुआ सरकार ने दावा किया कि नागरिकता देने से पहले इसकी प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से मंजूरी ली थी।
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