नोयडा | वरिष्ठ साहित्यकारा डॉ सरोजनी कुलश्रेष्ठ के निज निवास पर उनके ही द्वारा अनूदित हिन्दी पुस्तक “जीवन को कैसे जियें” का लोकार्पण सम्पन्न हुआ | इस अवसर पर नोयडा महानगर के अनेक मूर्धन्य गणमान्य उपस्थित थे |
जीवन की दुर्बलताओं पर विजय का विकल्प है पुस्तक “जीवन को कैसे जियें”
भारत एक धर्म प्रधान देश है जहाँ आध्यात्म की पूर्ण खोज में अनेक पद्धतियों ने आकार लिया। भारत भूमि से भक्ति की सुगंध आती है। सृष्टि में विकासवाद की जो परिकल्पना है, श्री अरविन्द योग उसकी जीवन्त अभिव्यक्ति है। ऐसे में श्री माँ द्वारा जीवन की दुर्बलताओं पर विजय प्राप्त करने हेतु श्री माँ के वचनों का वरिष्ठ साहित्यकारा डॉ सरोजिनी कुलश्रेष्ठ द्वारा किये गए हिंदी रूपान्तर का पुस्तक के रूप में आना समाज के लिए वरदान है| उक्त उदगार दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के अध्यक्ष डॉ रामशरण गौड़ ने डॉ सरोजिनी कुलश्रेष्ठ द्वारा लिखित पुस्तक “जीवन को कैसे जियें” के लोकार्पण के अवसर पर कहे। श्री अरविन्द सोसाइटी हिन्दी क्षेत्रीय समिति द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक आम जनमानस की अनेक समस्याओं के प्रति प्रभावी हल प्रस्तुत करती है| जीवन के 96 वसंत पार कर चुकीं भारत की वयोवृद्ध शिक्षाविद् एवं साहित्यकार डॉ सरोजिनी ने कहा कि “जीवन को कैसे जियें” पुस्तक श्री अरविन्द सोसाइटी से प्राप्त जीवन के विभिन्न प्रश्नों का श्री माँ द्वारा दिए गए उत्तरों का हिंदी रूपान्तर है जिसे आज के समाज को अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है।
सरोजनी जी का जीवन अपने आप में एक पुस्तक है
श्री अरविन्द सोसाइटी के वरिष्ठ सदस्य एवं मथुरा ब्रज कला केन्द्र के अध्यक्ष श्री विष्णु प्रकाश गोयल ने कहा कि डॉ सरोजिनी जी का जीवन अपने आप में एक पुस्तक है जिसके प्रत्येक पन्ने में जीवन के किसी न किसी समस्या का समाधान निहित है। उन्होंने यह भी कहा कि बाल साहित्य एवं ब्रजभाषा साहित्य के विकास हेतु डॉ सरोजिनी का कार्य एवं लेखन सम्पूर्ण समाज के लिए वरदान है। मथुरा स्थित पुस्तकालय में डॉ सरोजिनी के साहित्य का एक अलग से भाग बनाया है जो हम सभी के लिए अत्यन्त गौरव की बात है।
कार्यक्रम का प्रारम्भ सरस्वती वंदना से हुआ। तत्पश्चात काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमे युवा कवि अंकित चहल ने अपनी पुस्तक “इंसान बिकता है” में प्रकाशित कविता “नई दुनिया परों से नापनी है” की प्रस्तुति की। इसके पश्चात कवि प्रेम सागर, भारती अग्रवाल, करन बहादुर इत्यादि कवियों ने अपनी रचनाओं से कार्यक्रम को बहुरंगी बना दिया। युवा संगीतकार दीपक श्रीवास्तव ने डा सरोजिनी के गीतों की संगीतमय प्रस्तुति की। काव्य गोष्ठी के बाद पुस्तक लोकार्पण हुआ| पुस्तक समीक्षा के उपरान्त देश के मूर्धन्य विद्वानों एवं साहित्यकारों प्रो लल्लन प्रसाद, डॉ दिविक रमेश, श्री कृष्ण कुमार दीक्षित, श्री देवेन्द्र मित्तल, डा नताशा अरोड़ा, डा अर्चना प्रभाकर, श्री के सी श्रीवास्तव द्वारा साहित्यिक परिचर्चा ने कार्यक्रम को साहित्यिक शिखर पर पहुंचा दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ मुकेश दक्ष ने किया। कार्यक्रम के अंत में संयोजिका श्रीमती साधना सिन्हा ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया।
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