- -8 लाख रुपये से कम सालाना आमदनी वाले आरक्षण के दायरे में आएंगे।
- -जिनके पास 1000 वर्ग फीट से ज्यादा आकार का घर होगा, वो इस आरक्षण के दायरे में नहीं आएंगे।
- -राजपूत, भूमिहार, जाट, गुज्जर, बनिया को मिलेगा ईबीसी आरक्षण का लाभ।
लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने सवर्णों की नाराजगी दूर करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को सरकार इसके लिए संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश कर सकती है। इस आरक्षण का लाभ उन्हीं को मिलेगा, जो अभी तक किसी आरक्षण के दायरे में नहीं आते।
सवर्णों को आरक्षण के लिए मौजूदा कोटा 49.5 फीसदी से 59.5 प्रतिशत किया जा सकता है। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करना होगा, जिसमें सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए जातिगत आरक्षण का प्रावधान है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में आरक्षण देने का प्रस्ताव मंजूर किया गया। फैसले की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई लेकिन सरकार के विशिष्ट सूत्रों ने बताया, मंगलवार को लोकसभा में इसके लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया जा सकता है।
आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में बदलाव करना होगा। सत्र के अंतिम दिन पेश होने वाले विधेयक को लोकसभा में पारित कराना सरकार के लिए भले आसान हो, लेकिन राज्यसभा में आंकड़े उसके पक्ष में नहीं।
वहीं, इसके बाद इस सरकार के कार्यकाल में संसद का सामान्य सत्र नहीं बचा है। बजट सत्र में सरकार सामान्य कार्य शामिल नहीं करती। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार विशेष सत्र बुलाकर विधेयक पारित कराने का प्रयास करेगी।
आरक्षण के लिए ये शर्तें
वार्षिक आय आठ लाख रुपए से कम हो।
पांच एकड़ से कम खेतिहर जमीन हो।
मकान 1000 वर्गफीट से कम में बना हो।
निगम की अधिसूचित जमीन 109 गज से कम हो।
गैर-अधिसूचित जमीन 209 गज से कम हो। यहां मिलेगा फायदा: यहां मिलेगा फायदा: सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में।
- सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय कर रखी है।
अभी किसे कितना आरक्षण
अभी कुल 49.5 फीसदी आरक्षण है। ओबीसी को 27 फीसदी, एससी को 15 फीसदी और एसटी को 7.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है।
सरकार की बड़ी चुनौतियां
- सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय कर रखी है।
- संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान नहीं।
- संविधान संशोधन के लिए समय पर्याप्त नहीं, राज्यसभा में संख्याबल कम।
अभी क्यों लिया फैसला
माना जा रहा है कि एससी-एसटी ऐक्ट पर सरकार के फैसले के बाद सवर्ण जातियों में नाराजगी के चलते पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे भाजपा के अनुकूल नहीं रहे। सवर्णों को आरक्षण देने की कवायद को खासतौर पर मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मिली हार के बाद अगड़ों को अपने पाले में लाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
सियासी फायदा-नुकसान
आरएसएस समेत देश के तमाम संगठनों लंबे समय से आर्थिक रूप से पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण की मांग करते रहे हैं। ऐसे में मौजूदा जातियों को मिल रहे आरक्षण को छेड़े बगैर सरकार ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने का निर्णय लिया है। राफेल, राम मंदिर और किसानों की कर्जमाफी जैसे मुद्दों के बीच सरकार का फैसला रामबाण साबित हो सकता है। हालांकि इस कदम से कुछ और जातियां भी चुनाव से पहले आरक्षण की मांग कर सकती हैं।
पहले भी हुई आरक्षण की कवायद
सन 1991 में मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया। 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार देकर खारिज कर दिया। 2003 में राजग सरकार के समय मंत्री समूह गठित हुआ लेकिन 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार चली गई। 2006 में यूपीए सरकार के समय आर्थिक रूप से पिछड़े उन वर्गों का अध्ययन करने के लिए एक समिति बनाई गई मौजूदा आरक्षण के दायरे में नहीं आते। इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ और बात आई-गई हो गई।
भाजपा लंबे समय से इसकी मांग कर रही थी। मोदी सरकार ने ‘सबका साथ-सबका विकास’ की अवधारणा के तहत ऐतिहासिक फैसला लिया है। सामान्य वर्ग के लोगों को उनका हक मिला है। -शिव प्रताप शुक्ला, केंद्रीय मंत्री
भाजपा संसद में संविधान संशोधन विधेयक पेश करे। हम साथ देंगे। नहीं तो साफ हो जाएगा कि यह घोषणा भाजपा का चुनावी स्टंट है। -अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री दिल्ली
चुनाव में 100 दिन बचे हैं और सरकार को अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की याद आई। सरकार ने संसद में माना है कि 24 लाख पद खाली हैं। हम नौकरियों में आरक्षण के पक्ष में हैं, लेकिन युवा पूछ रहे हैं कि उन्हें नौकरियां कब मिलेंगी। -रणदीप सुरजेवाला, प्रवक्ता कांग्रेस
सरकार का यह फैसला लोगों को मूर्ख बनाने वाला कदम है। क्या सरकार संविधान संशोधन विधेयक संसद में पास करा पाएगी?- केटीएस तुलसी, सांसद राज्यसभा
आरक्षण से लोगों की आर्थिक स्थिति नहीं सुधरेगी। इसके लिए प्रधानमंत्री को 15-15 रुपए और नौकरी देनी चाहिए।-तेजस्वी यादव, राजद
लेख साभार-
https://www.amarujala.com/india-news/before-election-modi-government-gave-reservation-to-financially-weak-upper-caste-in-jobs?src=top-lead
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